The Basic Principles Of bhoot ki kahani
The Basic Principles Of bhoot ki kahani
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Bhoot ki kahani
हैलो दोस्तो अगर इस कहानी में कुछ गलतियां हो तो माफ़ करना ओर अगर अच्छी लगे तो कॉमेंट्स करना ताकि मोटीवेशन मिले। आशा करता हूं आप सबको पसंद आएगी। तो चलिए कहानी शुरू करता हूं। मेरा नाम अभय शर्मा है। जैसा ...
बरामदे में पड़ी खाट अचानक जमीन से ऊपर हो जाना।
अपनी आंखें मली। उसे फिर भी वह आदमी धुंधला ही दिखाई दे रहा था। रमेश ने उस आदमी को बुलाने की कोशिश की तो वह भागने लगा। रमेश भी उसके पीछे भागने लगा और वह आदमी अचानक से पटरी की तरफ भागने लगा और गायब हो गया।
अब मैं बहुत डर गया था , मेरे हाँथ-पैर फूल गए थे मुझे काटो तो खून नहीं।
चुड़ैल की कहानी और पंडित जी यह एक अंधेरी और तूफानी रात थी. बारिश ज़ोरों से हो रही थी और हवाएं तेज़ चल रही थीं. […]
तो मैंने देखा कि जैसे कोई सफेद साड़ी पहनकर,बाल खोलकर,लाल कलर की लाली लगाकर, जोर-जोर से हंस रही थी। मैने डर के मारे आंख नीचे कर लि.और नीचे देखने लगी। तभी कोई के चिल्लाने की आवाज आई.
गौरब डर कर भाग ने की कोसिस कर रहा था की उस औरत की आत्मा ने उसका एक हात पकड़ लिआ। और गौरब से बिनती करने लगा की मेरी मदद करो। यह सुनकर गौरब चौंक गया।
अंत में हार कर पमिनबहन और उनके परिवार ने घर छोड़ के वहाँ से चले जाने का फैसला कर लिया।
गौरब एक पंडित को लेकर उस घर में जाता है और पूजा पाठ करवाता है। इससे उस आत्मा को उस घर से मुक्ति मिल जाती है और वह गौरब का धन्यवाद करती है। गांब वाले सभी गौरब के इस कारनामे से प्रसन्न होते है और उसे इनाम देते है।
उसने वह शॉल उठाया और सुबह घर लौट गया। वह इस हादसे को एक बुरे सपने की तरह भूल गया था। इतनी सुनसान जगह और इतनी गहरी रात। बुरा सपना ही होगा। रमेश तो इस वीराने में अपना मानसिक संतुलन खो दे। उसने सोचा कि उसे नींद आ रही थी और उसने नींद में सपना देखा। अगली रात वह फिर से ड्यूटी दे रहा था।
क्या पता इसको भी इन चीजों में दिलचस्पी हो दूसरे दिन हम लोगों ने ऐसा ही किया तो रात में वह अंदर खेलने नहीं आया। हम लोग ऐसा चार-पांच दिन में एक बार रख के आ जाते थे । एक बार गांव वालों ने देख लिया और पूछा तो हमने सारी बातें बता दी । तब से आज भी वहां पर गांव वाले बीड़ी माचिस ताश के पत्ते हफ्ते में एक बार जरूर चढ़ाते हैं। और आज भी वह आत्मा किसी को परेशान नहीं करती।
गौरब अपने दोस्तों की मदद से उस आत्मा की शरीर को ढूंढ़ता है जोकि उसे एक पेड़ के निचे मिलता है। फिर गौरब पुलिस को ये सुचना देता है और पुलिस उस आत्मा के पति को गिरफ्तार करता है और कोट उसे आजीबन करबास की सजा सुनाता है।
थोड़ी रात बीत गई । तभी हमारे एक मित्र ने कहा कि यहां पर ना तो बिजली है । ना तो टीवी है . हम लोग बैठकर यहां पर क्या करेंगे चलो । आज हम लोग थोड़ी मस्ती करते हैं। दूसरे मित्र ने बोला हम अपने साथ ताश के पत्ते लाए हैं । चलो खेलते हैं और हम लोग धीमी लालटेन को जलाकर।
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